He Hari Nam Ko Aadhar

नाम स्मरण
है हरि नाम को आधार
और या कलिकाल नाहिन, रह्यो विधि ब्यौहार
नारदादि, सुकादि संकर, कियो यहै विचार
सकल श्रुति दधि मथत काढ्यो, इतो ही घृतसार
दसहुँ दिसि गुन करम रोक्यो, मीन को ज्यों जार
‘सूर’ हरि को सुजस गावत, जेहि मिटे भवभार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *