श्री राधा प्राकट्य
जग उठे भाग्य भारत के, परम आनन्द है छाया
श्याम की प्रियतमा राधा, प्रकट का काल शुभ आया
बज उठीं देव-दुन्दुभियाँ, गान करने लगे किन्नर
सुर लगे पुष्प बरसाने, अमित आनन्द उर में भर
चले सब ग्वाल नर नारी, वृद्ध बालक सुसज्जित हो
सभी मन में प्रफुल्लित हो, देवियाँ देव हर्षित हो
यशोदा नन्द परमानंद पाकर हो उठे विहृल
चले बरसाने को ले भेंट, खिल उठे हृदय पंकज दल

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