मिलने की आतुरता
जोगिया, कब रे मिलोगे आई
तेरे कारण जोग लियो है, घर-घर अलख जगाई
दिवस न भूख, रैन नहिं निंदियाँ, तुम बिन कछु न सुहाई
‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मिल कर तपन बुझाई

One Response

Leave a Reply to Shri Naad Music Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *