Karat Shrangar Maiya Man Bhavat

श्रृंगार
करत श्रृंगार मैया मन भावत
शीतल जल तातो करि राख्यो, ले लालन को बैठ न्हवावत
अंग अँगोछ चौकी बैठारत, प्रथमही ले तनिया पहरावत
देखो लाल और सब बालक, घर-घर ते कैसे बन आवत
पहर्यो लाल झँगा अति सुंदर, आँख आँज के तिलक बनावत
‘सूरदास’, प्रभु खेलत आँगन, लेत बलैंया मोद बढ़ावत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *