भगवान् वामन
कश्यप अदिति के पुत्र रूप जन्मे हरि, शिव अज हर्षाये
वामन का रूप धरा हरिने, बलियज्ञ भूमि पर वे आये
स्वागत करके बलि यों बोले, जो चाहे कुछ तो माँगो भी
हरि बोले ‘भूमि दो तीन पैर, हो जरा न कम या ज्यादा भी’
बलि ने ज्योंही हामी भरदी, वामन ने रूप अनन्त किया
सारी पृथ्वी व सत्यलोक को, दो पग में ही नाप लिया
श्री-चरण पखारे ब्रह्मा ने, वह जल ही गंगा रूप हुआ
जल उसका तो हरि का स्वरूप, सब लोकों में आनन्द हुआ
‘बलि तृतीय पग धरती का तो पूरा ही तुमने कहाँ किया’
राजा ने प्रभु की स्तुति की, तो सुतल लोक का राज्य दिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *