यशोदा का संदेश
कोउ रे! जइयो मधुपूरि ओर
वहाँ बसत है मेरो लाला सुन्दर नवल किशोर
कहियो वाहि अरे नटखट! क्यों आत न इते बहोर
मैया बिलखि बिलखि जीवति है, तकत न वाकी ओर
माखन सो तेरो हिय लाला, काहे भयो कठोर
मैं तो नित तेरो मग जोऊँ, कान्ह बहोर बहोर
अपुनो ही सुत करि मैं मान्यो, भूल गई सब और
एक बार आ हियरो सिराजा, लगी ललक पुरजोर

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