Laga Le Prem Prabhu Se Tu

शरणागति
लगाले प्रेम प्रभु से तू, अगर जो मोक्ष चाहता है
रचा उसने जगत् सारा, पालता वो ही सबको है
वही मालिक है दुनियाँ का, पिता माता विधाता है
नहीं पाताल के अंदर, नहीं आकाश के ऊपर
सदा वो पास है तेरे, ढूँढने क्यों तू जाता है
पड़े जो शरण में उसकी, छोड़ दुनियाँ के लालच को
वो ‘ब्रह्मानन्द’ निश्चय ही, परम सुख-धाम पाता है

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