मोह मिटा दो
माधव! मेरा मोह मिटा दो
किया इसी ने विलग आप से, इसको नाथ हटा दो
जल तरंगवत भेद न तुमसे, इसने भेद कराया
इसही ने कुछ दूर-दूर रख, भव-वन में भटकाया
यही मोह माया है जिसने, तुमसे विरह कराया
जिसका मोह मिटा वह तुमसे निस्संदेह मिल पाया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *