चाकर राखो
म्हाने चाकर राखोजी, गिरधारी म्हाने चाकर राखोजी
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ, नित उठ दरसण पास्यूँ
वृन्दावन की कुंज गलिन में, थारी लीला गास्यूँ
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमिरण पाऊँ खरची
भाव भगति जागीरी पास्यूँ, तीनूँ बाताँ सरसी
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, गल बैजन्ती माला
वृन्दावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला
हरे-हरे नित बाग लगास्यूँ बिच बिच राखूँ क्यारी
साँवरिया का दरसन पास्यूँ, पहर कसूँमल सारी
‘मीराँ’ के प्रभु गहर गंभीरा, हृदय धरोजी धीरा
आधी रात प्रभु दरसन दिजो, जमनाजी के तीरा

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