रसिया
मृगनैनी को प्रान नवल रसिया, मृगनैनी
बड़ि-बड़ि अखिंयन कजरा सोहे, टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया
अतलस को याकें लहेंगा सोहे, प्यारी झुमक मेरे मन बसिया
छोटी अंगुरिन मुँदरी सोहे, बीच में आरसी मन बसिया
बाँह बड़ो बाजूबन्द सोहे, हियरे में हार दीपत छतिया
‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखत, सबै छोड़ ब्रज में बसिया
रंग महल में सेज बिछाई, लाल पलंग पचरंग तकिया

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