भक्त के भगवान
नाना विधि लीला करें स्याम
श्री हरि की शरण गजेन्द्र गया, जभी ग्राह ने जकड़ लिया
विनती को सुन फौरन पहुँचे और ग्राह से मुक्त किया
द्रुपत सुता का चीर खिंच रहा बोली-‘आस तिहारी’
लिया वस्त्र अवतार बचाई, लाज तभी गिरधारी
नहीं उठाऊँ शस्त्र युद्ध में, यह केशव की बान
तोड़ प्रतिज्ञा लिया सुदर्शन, रखा भीष्म का मान
महाभारत के युद्धस्थल में, पार्थ सारथी बनके
विजय दिलाई पाण्डव जन को, श्याम सखा जो उनके
सागर-मंथन हुआ असुर-सुर, कियो परिश्रम भारी
मोहिनी रूप धरा देवों को सुधा पिलाई न्यारी
दुर्योधन का मेवा त्याग्या साग विदुर घर पाई
केले के छिलके हरि खायें, ऐसी प्रेम सगाई
तुलसी मीरा सूरदास ने इनकी गाथा गाई
श्रवण किया श्रद्धा से जिसने, कृष्ण भक्ति को पाई

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