वामन अवतार
नाथ कैसे बलि घर याचन आये
बलिराजा रणधीर महाबल, इन्द्रादिक भय खाये
तीन लोक उनके वश आये, निर्भय राज चलाये
वामन रूप धरा श्री हरि ने, बलि के यज्ञ सिधाये
तीन चरण पृथ्वी दो राजन! कुटिया चाहूँ बनायें
बलि ने दान दिया जैसे ही तत्क्षण रूप बढ़ाये
तीन लोक में पैर पसारे, बलि पाताल पठाये
चरण-कमल से गंगा निकली, देव पुष्प बरसाये
‘ब्रह्मानंद’ भक्त हितकारी, दानव गर्व नसाये

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *