श्री गणेश वन्दन
ओंकारा-कृति गणपति गणेश, श्रद्धा से हम प्रणिपात करें
ये ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र रूप, श्रेयस्कर इनका वरण करें
दो कर्ण सूप से, ह्वस्व नयन, तीनों गुण,तीनों काल परें
यज्ञों के रक्षक, वक्रतुण्ड, सुर, नर, मुनि, योगी ध्यान धरें
विद्या वारिधि प्रभु लम्बोदर, गूँगे को गिरा प्रदान करें
गिरि पर चढ़ने को समुचित बल, लँगड़े को भी ये सुलभ करें
इक-दन्त गजानन, चार भुजा, पाशांकुश, मोदक हाथ धरें
वर-मुद्रा है चौथे कर की, पूजे मन-वांछित काज सरें
ये महाकाय प्रभु गणाधीश, मोहक मुद्रा में नृत्य करें
करधनी की छुद्र घंटिकाएँ, मंथर स्वर मन उल्लास भरें
ये विद्यारम्भ, विवाहोत्सव में, सब बाधाओं को दूर करें
गजवदन विनायक की जय हो, जो विघ्न-राशि को नष्ट करें

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