पलना
पलना स्याम झुलावति जननी
अति अनुराग ह्रदय में, गावति, प्रफुलित मगन होति नँद घरनी
उमँगि- उमँगि प्रभु भुजा पसारत, हरषि जसोमति अंकम भरनी
‘सूरदास’ प्रभु मुदित जसोदा, पूरन भई पुरातन करनी

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