प्रार्थना
पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुमही एक नाथ हमारे हो
जिनके कछु और अधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो
प्रतिपाल करो सगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो
भूले हैं हम तुम को, तुम तो, हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो
शुभ, शान्ति-निकेतन, प्रेमनिधे, मन-मंदिर के उजियारे हो
उपकारन को कछु अंत नहीं, छिन ही छिन जो विस्तारे हो
महाराज महा महिमा तुम्हरी, सबसे बिरले बुधिवारे हो
इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्राणन के तुम प्यारे हो
तुम से प्रभु पाय ‘प्रताप’ हरि, केहि के अब और सहारे हो

4 Responses

  1. यहाँ लिखा गया यह भजन अधूरा एवं त्रुटि पूर्ण है । कृपया इसमें सुधार करें ।

Leave a Reply to Smriti Taparia Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *