राधे श्याम मिलन
प्रथम सनेह दुहुँन मन जान्यो
सैन-सैन कीनी सब बातें, गुपत प्रीति सिसुता प्रगटान्यो
खेलन कबहुँ हमारे आवहु, नंद-सदन ब्रज – गाँउँ
द्वारे आइ टेरि मोहि लीजो, कान्ह है मेरो नाउँ
जो कहियै घर दूरि तुम्हारो, बोलत सुनियै टेर
तुमहिं सौंह वृषभानु बबा की, प्रात-साँझ इक फेर
सूधी निपट देखियत तुमकों, तातें करियत साथ
‘सूर’ श्याम नागर उत नागरि, राधा दोऊ मिलि साथ

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