नश्वर संसार
रहना नहीं देस बिराना है
यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है
यह संसार काँट की बाड़ी, उलझ उलझ मरि जाना है
यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है

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