Udho Hot Kaha Samjhaye

हरि की याद
ऊधौ! होत कहा समुझाये
चित्त चुभी वह साँवरी मूरति, जोग कहाँ तुम लाए
पा लागौं कहियो हरिजू सों दरस देहु इक बेर
‘सूरदास’ प्रभु सों विनती करि यहै सुनैयो टेर

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