Vrindavan Kunj Bhawan

नाचत गिरधारी
वृंदावन कुंज भवन, नाचत गिरिधारी
धर-धर धर मुरलि अधर, भर-भर स्वर मधुर अधर
कर-कर नटवर स्वरूप, सुंदर सुखकारी
घन-घन घन बजत ताल, ठुम-ठुम ठुम चलत चाल
चरणन छन छन छन छन, नूपुर धुन प्यारी
घिर, घिर, घिर करत गान, फिर फिर फिर देत तान
मिल, मिल, मिल रचत रास, संग गोप नारी
चम, चम, चम वदन चंद, हँस, हँस, हँस, हँसन मंद
‘ब्रह्मानंद’ नंद-नँदन, जाऊँ बलिहारी

One thought on “Vrindavan Kunj Bhawan”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *