श्री रामचरित मानस- रामायण आरती
आरती रामचरित मानस की, रचना पावन चरित राम की
निगमागम का सार इसी में, वाल्मीकि ऋषि, तुलसी गाये
रामचरितमानस रामायण, निश्चल-भक्ति सुधा बरसाये
पति-व्रत, बन्धु-प्रेम, मर्यादा, माँ सीता का चरित सुहाये
आज्ञापालन, राज-धर्म, त्यागी जीवन आदर्श बताये
साधु-संत प्रिय, कलिमलहारी, दुःख शोक अज्ञान मिटाये
श्रद्धा-युत हो श्रवण करे जो, कहें सुने भव-ताप नसाये

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *