Badhai Se Nahi Phulo Man Main

प्रशंसा
बड़ाई से नहिं फूलों मन में
ध्यान न रहता जो भी खामियाँ, रहती हैं अपने में
काम प्रशंसा का जब होए, समझो कृपा प्रभु की
याद रहे कि प्रशंसा तो बस, मीठी घूँट जहर की
नहीं लगाओ गले बड़ाई, दूर सदा ही भागो
होगी श्लाघा बड़े बनोगे, सपने से तुम जागो 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *