Dhan Sanchay Se Dukhi Hote

धन संचय
धन संचय से दुःखी होते
दूजों को वंचित करके ही हम धन की वृद्धि कर पाते
हम स्वामी उतने ही धन के जिससे कि गुजारा हो जाये
ज्यादा धन को अपना माने, वह व्यक्ति चोर ही कहलाये
परिवार में धन के कारण ही आपस में बँटवारा होता
ज्यादा धन से सुख मिलता है, यह तो भ्रम उल्टा दुख देता
अति का धन चोर चुरायेगा, या डाकू डाका डालेगा
शय्या वश होना पड़े कभी तो निशि दिन रोग सताएगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *