नर नारायण स्तुति
दो रूपों में अवतार लिया नर नारायण को हम नमन करें
अंशावतार वे श्री हरि के, बदरीवन में तप वहीं करें
वक्षस्थल पर श्रीवत्स चिन्ह चौड़ा ललाट सुन्दर भौंहे
दोनों ही वेष तपस्वी में, मस्तक पर घनी जटा सोहें
तप से शंकित शचि पति प्रेरित, रति काम वहाँ पर जब आये
सामर्थ्य यही नारायण का, होकर परास्त वापस जाये
सब शास्त्र और सम्पूर्ण वेद, जिनकी महिमा को गाते हैं
नर नारायण का पूजन व ध्यान, उन परमात्मा का करते हैं
आदर्श यही मन के विकार, तप के द्वारा क्षय होते है
गीता का उपदेश पार्थ को श्रीकृष्ण तो देते है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *