प्रबोधन
इच्छाओं का परित्याग करो
कर्त्तव्य करो, निष्काम रहो एवम् सेवा का कार्य करो
जो कुछ भी प्रभु से मिला हमें,वह करें समर्पित उनको ही
संकल्प जो कि हम करें जभी संयमित जपें प्रभु को ही
मन को मत खाली रहने दो, वरना प्रपंच घुस जायेगा
इसलिये सदा शुभ कर्म करो, दुर्भाव न मन में आयेगा
व्याकुल होकर प्रभु को खोजो, जड़ चेतन सब में एक वहीं
भक्ति में समाया यही भाव, मेरापन कुछ भी बचे नहीं

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