गुरुदेव आरती
जय जय जय गुरु देव
जय गुरुदेव दयालू, भक्तन हितकारी
व्यास रुप हे सद्गुरु, जाऊँ बलिहारी
हरि हर ब्रह्मा रूपा, मुद मंगलकारी
वेद, पुराण, पुकारे, गुरु महिमा भारी
काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ दोष सारे
ज्ञान खड्ग के द्वारा, गुरु सबको मारे
भव-सागर अति दुर्गम, भँवर पड़े गहरे
सद्गुरु नाव केवटिया, क्षण में ही उबरे
नाना पंथ जगत् में, सबको भरमाये
उन्मूलन कर संशय, सत्पथ दिखलाये
विद्या-वारिधि स्वामी, भ्रम को शीघ्र हरे
पद-नख-मणि की ज्योति, हृदय प्रकाश भरे
सेवा, संयम, भक्ति, प्रज्ञा, धन दीजै
गुरु बिन सदा भटकते, कोटि यत्न कीजै
श्री गुरुदेव की आरति, जो कोइ जन गाये
अशुभ मिटे सुख आये, निर्मल मति पाये

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *