सात्विक दान
कठिनाई से धन अर्जन हो, और दान कर पाये
धन का लोभ सदा ही रहता, त्याग कठिन हो जाये
याद रहे अधिकांश धर्म में व्यय हो, कमी न आये
कुएँ से जल जितना निकले, फिर से वह भर जाये
धन कमाय जो भी ईमान से, वह सात्विक कहलाये
कृषि एवं व्यवसाय से अर्जित, राजस श्रेणी पाये 

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