मोह माया
प्रभु अद्भुत तेरी माया, जिसका पार न कोई पाया
धन दौलत सम्बन्धी अथवा, पुत्र पिता या जाया
ममता कभी न छूटे उनसे, जिनमें रहा भुलाया
गर्भवास कर नौ महिने तक, पृथ्वी पर मैं आया
प्यार मिला घर के लोगों से, समझ नहीं कुछ पाया
युवा काल ऐसे ही खोया, मस्ती मजा उड़ाया
वृद्धावस्था किसे न छोड़े, जर्जर हो गई काया
हरि-स्मरण को भूल गया मैं, अन्त समय पछताया  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *