Sab Chala Chali Ka Mela Hai

नश्वर संसार
सब चला चली का मेला है
कोई चला गया कोई जाने को, बस चार दिनों का खेला है
घर बार कपट की माया है, जीवन में पाप कमाया है
ये मनुज योनि अति दुर्लभ है, जिसने दी उन्हें भुलाया है
विषयों में डूब रहा अब भी, जाने की आ गई वेला रे
सब मित्र और सम्बन्धी भी, छोड़ेंगे तुझे अकेला रे
हरिनाम साथ में ही जाये, जप साँस साँस पर उनको तूँ
कोई न काम कुछ आयेगा, हिरदै में बसा ले प्रभु को तूँ

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