बुद्धियोग
समस्त सृष्टि जिसके द्वारा, सर्वात्मा ईश्वर एक वही
सब लोक महेश्वर शक्तिमान, सच्चिदानन्दमय ब्रह्म वही
जो कर्म हमारे भले बुरे, हो प्राप्त शुभाशुभ लोक हमें
उत्तम या अधम योनियाँ भी, मिलती हैं तद्नुसार हमें
हम शास्त्र विहित आचरण करें, शास्त्र निषिद्ध का त्याग करें
सांसारिक सुख सब नश्वर है, भगवत्प्राप्ति का यत्न करें
निष्काम कर्म समबुद्धि से, सेवा का व्रत, सद्गुण ये ही
प्रतिपादन करती गीताजी, जो बुद्धियोग वह मार्ग यही

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