जीवन का उद्देश्य
उद्देश्यपूर्ण यह जीवन हो
लक्ष्य के प्रकार पर ही निर्भर, मानव स्वरूप जैसा भी हो
जो सुख की खोज में भटक रहे, प्रायः दुःख ही मिलता उनको
हो जाय समर्पित यह जीवन, एकमात्र प्रभु के पाने को
वे अन्दर ही हैं दूर नहीं, प्रभु की इच्छा सर्वोपरि हो
सौंप दे समस्याएँ भी उनको, निश्चित प्रशांत तब मन भी हो
नारायण जो अच्युत, अनन्त, भक्ति से उनको प्राप्त करें
वह दिव्य ज्योति व दिव्य प्रेम, जो अविचल शांति प्रदान करें

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