Shri Bhagvad Gita Divya Shastra
गीतोपदेश श्री भगवद्गीता दिव्य शास्त्र जिसमें वेदों का भरा सार वाणी द्वारा इसका माहात्म्य, अद्भुत कोई पाता न पार भगवान् कृष्ण-मुख से निसृत, यह अमृत इसका पान करे स्वाध्याय करे जो गीता का, उसके यह सारे क्लेश हरे मृगतृष्णा-जल जैसी दुनिया, आसक्ति मोह का त्याग करें कर्तापन का अभिमान छोड़, हम शास्त्र विहित ही कर्म […]
Shri Krishna Chandra Hi Yogeshwar
योगेश्वर श्रीकृष्ण श्री कृष्णचन्द्र ही योगेश्वर, जो सभी योगियों के योगी अध्यात्म साधनों के द्वारा, जुड़ जाता उनसे हर योगी भगवान कृष्ण की लीलाएँ या कर्म सभी जन हितकारी हो कर्म, ज्ञान या भक्ति योग, गीतोपदेश मंगलकारी जो स्वास्थ्य प्रदान करे हमको, सीमित उस तक होता न योग सर्वत्र शांति संतोष रहे, सुख सुविधा का […]
Shri Krishna Chandra Sab Main Chaye
सर्वेश्वर श्रीकृष्ण श्री कृष्णचन्द्र सब में छाये जड़ चेतन प्राणीमात्र तथा कण कण में वही समाये जो महादेव के भक्त करे, गुणगान स्तुति उसमें ये विघ्नेश्वर गणपति रूप धरे, विघ्नों का नाश कर देते हम दुर्गाजी का पाठ करें, होते प्रसन्न उससे भी ये सद्बुद्धि देते सूर्यदेव, उनमें भी प्रकाशित तो ये चाहे पूजें किसी […]
Shri Krishnarjun Samvad Divya
श्रीमद्भगवद्गीता श्री कृष्णार्जुन संवाद दिव्य, गीता ने हमें प्रदान किया कालजयी यह ग्रंथ सभी धर्मों को समन्वित ज्ञान दिया हर देश परिस्थिति में रचना, मानव को मार्ग दिखाती है सर्वोत्कृष्ट यह ऐसी कृति, जो सदा प्रेरणा देती है निन्दा, स्तुति, मानापमान, जो द्वन्द्व मचायें जीवन में दुविधा में जब भी पड़ें कभी, जायें गीता के […]
Shri Krishna Kahte Raho
श्रीकृष्ण-भक्ति श्री कृष्ण कहते रहो, अमृत-मूर्ति अनूप श्रुति शास्त्र का मधुर फल, रसमय भक्ति स्वरूप कर चिन्तन श्रीकृष्ण का, लीलादिक का ध्यान अमृत ही अमृत झरे, करुणा प्रेम-निधान कण-कण में जहाँ व्याप्त है, श्यामा श्याम स्वरूप उस वृन्दावन धाम की, शोभा अमित अनूप जप-तप-संयम, दान, व्रत, साधन विविध प्रकार मुरलीधर से प्रेम ही, निगमाम का […]
Shri Krishna Chandra Madhurati Madhur
श्रीकृष्ण का माधुर्य श्री कृष्णचन्द्र मधुरातिमधुर है अधर मधुर मुख-कमल मधुर, चितवनी मधुर रुचि-वेश मधुर है भृकटि मधुर अरु तिलक मधुर, सिर मुकुट मधुर कच कुटिल मधुर है गमन मधुर अरु नृत्य मधुर, नासिका मधुर नखचन्द्र मधुर है रमण मधुर अरु हरण मधुर, महारास मधुर संगीत मधुर है गोप मधुर, गोपियाँ मधुर, संयोग मधुर उद्गार […]
Shri Krishna Ka Virah
श्री चैतन्य महाप्रभु श्री कृष्ण का विरह आपको आठों ही प्रहर सताये श्री महाप्रभु चैतन्य वही जो राधा भाव दिखाये राधा कान्ति कलेवर अनुपम, भक्तों के मन भाये रोम रोम में हाव भाव में, गीत कृष्ण के गाये प्रेमावतार महाप्रभु अन्तस में, राधावर छाये ओत प्रोत है कृष्ण-भक्ति से, जन-मन वही लुभाये
Shyam Sundar Mathura Jayen
मथुरा गमन श्याम सुन्दर मथुरा जायें क्रूर बने अक्रूर, प्राणधन को लेने आये बिलख रही है राधारानी, धैर्य बँधाये कोई आने लगीं याद क्रीड़ाएँ, सुध-बुध सबने खोई प्यारी चितवन, मुख मण्डल को, देख गोपियाँ जीतीं संभावित मोहन वियोग से, कैसी उन पर बीती चित्त चुराया नेह लगाया, वही बिछुड़ जब जाये वाम विधाता हुआ सभी […]
Shyam Main Kaise Darshan Paun
दर्शन की चाह श्याम! मैं कैसे दर्शन पाऊँ दर्शन की उत्कट अभिलाषा और कहीं ना जाऊँ पूजा-विधि भलीभाँति न जानूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ माखन मिश्री का मैं प्रतिदिन, क्या मैं भोग लगाऊँ गोपीजन-सा भाव न मुझमें, कैसे प्रीति बढ़ाऊँ श्री राधा से प्रीति अनूठी, उनके गीत सुनाऊँ तुम्हीं श्याम बतलाओ मुझको, क्या मैं भेंट चढ़ाऊँ […]
Shyam Dekh Darpan Main Bole
राधिका श्याम सौन्दर्य श्याम देख दर्पण में बोले ‘सुनो राधिका प्यारी आज बताओ मैं सुन्दर या तुम हो सुभगा न्यारी’ असमंजस में पड़ी राधिका, कौन अधिक रुचिकारी ‘हम का कहें कि मैं गोरी पर, तुम तो श्याम बिहारी’ जीत गई वृषभानु-दुलारी, मुग्ध हुए बनवारी भक्तों के सर्वस्व राधिका-श्याम युगल मनहारी