Govind Karat Murali Gan

मुरली माधुर्य गोविन्द करत मुरली गान अधर पर धर श्याम सुन्दर, सप्त स्वर संधान विमोहे ब्रज-नारि, खग पशु, सुनत धरि रहे ध्यान चल अचल सबकी भई यह, गति अनुपम आन ध्यान छूटे मुनिजनों के, थके व्योम विमान ‘कुंभनदास’ सुजान गिरिधर, रची अद्भुत तान

Jasoda Kaha Kahon Hon Baat

लाला की करतूत जसोदा! कहा कहों हौं बात तुम्हरे सुत के करतब मोसे, कहत कहे नहिं जात भाजन फोरि, ढोलि सब गोरस, ले माखन-दधि खात जो बरजौं तो आँखि दिखावै, रंचु-नाहिं सकुचात और अटपटी कहलौं बरनौ, छुवत पान सौं गात दास ‘चतुर्भुज’ गिरिधर-गुन हौं, कहति कहति सकुचात 

Ja Ko Manvranda Vipin Haryo

वंदनावन-महिमा जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो ‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो  

Jagahu Brajraj Lal Mor Mukut Ware

प्रभाती जागहु ब्रजराज लाल मोर मुकुट वारे पक्षी गण करहि शोर, अरुण वरुण भानु भोर नवल कमल फूल, रहे भौंरा गुंजारे भक्तन के सुने बैन, जागे करुणा अयन पूजि के मन कामधेनु, पृथ्वी पगु धारे करके फिर स्नान ध्यान, पूजन पूरण विधान बिप्रन को दियो दान, नंद के दुलारे करके भोजन गुपाल गैयन सँग भये […]

Jin Ke Sarvas Jugal Kishor

युगल श्री राधाकृष्ण जिनके सर्वस जुगलकिशोर तिहिं समान अस को बड़भागी, गनि सब के सिरमौर नित्य विहार निरंतर जाको, करत पान निसि भोर ‘श्री हरिप्रिया’ निहारत छिन-छिन, चितय नयन की कोर 

Tum Bin Pyare Kahun Sukh Nahi

स्वार्थी संसार तुम बिन प्यारे कहुँ सुख नाहीं भटक्यो बहुत स्वाद-रस लम्पट, ठौर ठौर जग माहीं जित देखौं तित स्वारथ ही की निरस पुरानी बातें अतिहि मलिन व्यवहार देखिकै, घृणा आत है तातें जानत भले तुम्हारे बिनु सब, व्यर्थ ही बीतत सांसे ‘हरिचन्द्र’ नहीं टूटत है ये, कठिन मोह की फाँसे  

Pitu Matu Sahayak Swami Sakha

प्रार्थना पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुमही एक नाथ हमारे हो जिनके कछु और अधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो प्रतिपाल करो सगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो भूले हैं हम तुम को, तुम तो, हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो शुभ, शान्ति-निकेतन, प्रेमनिधे, मन-मंदिर के उजियारे हो उपकारन को कछु अंत नहीं, […]

Baithe Hari Radha Sang

मुरली मोहिनी बैठे हरि राधासंग, कुंजभवन अपने रंग मुरली ले अधर धरी, सारंग मुख गाई मनमोहन अति सुजान, परम चतुर गुन-निधान जान बूझ एक तान, चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन, सकल कला गुन प्रवीन अति नवीन रूप सहित, तान वही सुनाई ‘वल्लभ’ गिरिधरनलाल, रीझ कियो अंकमाल कहन लगे नन्दलाल, सुन्दर सुखदाई 

Bhaj Man Shri Radhe Gopal

श्रीराधाकृष्ण स्तुति भज मन श्री राधे गोपाल स्निग्ध कपोल, अधर-बिंबाफल लोचन परम विशाल शुक-नासा, भौं दूज-चन्द्र-सम, अति सुंदर है भाल मुकुट चंद्रिका शीश लसत है, घूँघर वाले बाल रत्न जटित, कुंडल, कर-कंगन, गल मोतियन की माल पग नूपुर-मणि-खचित बजत जब, चलत हंस गति चाल गौर श्याम तनु वसन अमोलक, चंचल नयन विशाल मृदु मुसकान मनोहर […]

Bhajahun Re Man Shri Nand Nandan

नवधा भक्ति भजहुँ रे मन श्री नँद-नन्दन, अभय चरण अरविन्द रे दुर्लभ मानव-जनम सत्संग, तरना है भव-सिंधु रे शीत, ग्रीष्म, पावस ऋतु, सुख-दुख, ये दिन आवत जात रे कृपण जीवन भजन के बिन चपल सुख की आस रे ये धन, यौवन, पुत्र, परिजन, इनसे मोह परितोष रे कमल-नयन भज, जीवन कलिमल, करहुँ हरि से प्रीति […]