Bhajan Bin Jiwan Manahu Masan

भजन महिमा भजन बिन जीवन मनहुँ मसान जीवन के जीवन मनमोहन, उन बिन मरन समान चलत फिरत दीखत जो यह तन,सो जनु प्रेत समान कहा काम आवहिगो वैभव, जब तन को अवसान जो कछु मिल्यौ न फल्यौ जगत में, कियो न हरि गुण-गान है बस यही चातुरी साँची, भजै स्याम रसखान

Hindole Jhulahi Naval Kishor

झूलना हिंडोले झूलहिं नवल-किसोर कहा कहों यह सुषमा सजनी! वारिय काम करोर वरन-वरन के वसन सखिन के, पवन चलत झकझोर सावन के मनभावन बादर, गड़गड़ाहिं घनघोर गावहिं सावन गीत मनोहर, भये जुगल रस भोर या रस के वश भये चराचर, जाको ओर न छोर

Man Tu Kahe Bhayo Achet

प्रबोधन मन! तू काहे भयो अचेत भटकत रह्यो व्यर्थ में अब तक, कियो न हरि से हेत पायो मानुष-जन्म हाय! तू ताहि वृथा कर देत अरे भूलि हीरा कों बौरे, करत काँच सो हेत प्राननाथ सों प्रीति न करि तू, पूजत पामर प्रेत सुमिर सुमिर रे! सदा स्याम को, संतत स्नेह समेत

Are Man Kar Prabhu Par Vishvas

प्रभु का भरोसा अरे मन कर प्रभु पर विश्वास भटक रहा क्यों इधर-उधर तूँ, झूठे सुख की आस सुन्दर देह सुहावनि नारी, सब विधि भोग-विलास क्या पाया घरबार पुत्र से, मिटी न यम की त्रास क्षण-भङ्गुर सब भोग निरंतर, बने काल के ग्रास मिले परम सुख, घटे कभी नहिं, जिनके मन विश्वास

Aaju Jugal Var Raas Rachayo

रास लीला आजु जुगल वर रास रचायो, कालिन्दी के कूल री सजनी ब्रह्मा, शिव की मति बौराई, मनसिज के मन सूल री सजनी बिच बिच गोपी श्याम सुशोभित, जनु मुक्ता-मणि माल री सजनी बाजहिं बहु-विधि वाद्य अनूपम, राग रंग ध्वनि मीठी री सजनी भाव भंगि करि नाचहिं गावहिं, उर उमँग्यौ अनुराग री सजनी कटि किंकिनि […]

Man Ga Tu Madhav Rag Re

चेतावनी मन गा तू माधव राग रे, कर माधव से अनुराग रे कृष्ण भजन को नर तन पाया, यहाँ आय जग में भरमाया छोड़ छोड़ यह माया छाया, श्याम सुधारस पाग रे माधव ही तेरा अपना है, और सभी कोरा सपना है दुनिया से जुड़ना फँसना है, इस बंधन से भाग रे मोह निशा में […]

Aaju In Nayananhi Nirakhe

माधव की मोहिनी आजु इन नयनन्हि निरखे स्याम निकसे ह्वै मेरे मारग तैं, नव नटवर अभिराम मो तन देखि मधुर मुसकाने, मोहन-दृष्टि ललाम ताही छिनते भए तिनहिं के, तन-मन-मति-धन-धाम हौं बिनु मोल बिकी तिन चरनन्हि, रह्यौ न जग कछु काम माधव-पद-पंकज मैं पायौ, मन मधुकर विश्राम  

Kahe Aise Bhaye Kathor

निहोरा काहे ऐसे भये कठोर टेरत टेरत भई वयस अब, तक्यो न मेरी ओर कहा करों, कोउ पंथ न दीखत, साधन भी नहिं और पै तुम बिनु मेरे मनमोहन, दीखत और न ठौर काहे अब स्वभाव निज भूले, करहुँ न करुना कोर हूँ मैं दीन भिखारी प्यारे, तुम उदार-सिरमौर

Man Mohak Sab Saj Sajyo Ri

पुष्प सज्जा मन मोहक सब साज सज्यो री फूलमयी यह जुगल जोति लखि, सखियन को मन फूल रह्यो री फूलन के ही मुकुट चन्द्रिका, फूलन ही को पाग फल्यौ री फूलन के ही गजरा कुण्डल, फूलन को ही हार सज्यौ री फूलन के ही कंकण कचुँकि, फूलन को भुजबन्ध बन्धौ री फूलन के ही नूपुर […]

Udho Kahan Sikhvo Yog

मोहन से योग ऊधौ! कहा सिखावौ जोग हमरो नित्य-जोग प्रियतम सौं, होय न पलक बियोग वे ही हमरे मन मति सर्वस, वे ही जीवन प्रान वे ही अंग-अंग में छाये, हमको इसका भान