Nath Ne Narsingh Rup Banaya

नरसिंह अवतार
नाथ ने नरसिंह रूप बनाया, भक्त प्रहृलाद बचाया
खम्भ फाड़ कर प्रगट भये हरि, सब को ही भरमाया
आधा रूप लिया है नर का, आधा सिंह धराया
हिरणाकशिपु को पकड़ धरा पर, नख से फाड़ गिराया
गर्जन सुनकर ब्रह्माजी अरु सभी देवता आया
हाथ जोड़ सब स्तुति करके, शांत स्वरूप कराया
घट घट वासी जड़ चेतन में, वेद पुराण बताया
‘ब्रह्मानंद’ रूप नरसिंह धर, सबको यही दिखाया

Khambha Fadke Pragate Narhari

नरसिंह रूप
खम्भ फाड़के प्रगटे नरहरि, अपनों भक्त उबार्यो
दैत्यराज हिरणाकशिपु को, नखते उदर विदार्यो
नरसिंहरूप धर्यो श्रीहरि ने, धरणी भार उतार्यो
जय-जयकार भयो पृथ्वी पे, सुर नर सबहिं निहार्यो
कमला निकट न आवे, ऐसो रूप कबहुँ नहीं धार्यो
चूमत अरु चाटत प्रह्लाद को, तुरत ही क्रोध निवार्यो
राजतिलक दे दियो प्रभु ने, हस्त कमल सिर धार्यो
‘नंददास’ स्वामी करुणामय, भक्त ताप निस्तार्यो

Om Jay Narsingh Hare

नरसिंह आरती
ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह —-हरे प्रभु ….
चरण-कमल जो ध्याये, संकट दूर करे —-ॐ …..
खम्भ फाड़ के श्री हरि, लियो आप अवतार —-प्रभु ….
सिंह रूप को धार्यो, महिमा अपरम्पार —-ॐ ….
मुख जिह्वा भयकारी, उग्ररूप धारी —-प्रभु ….
नाटी मोटी गरदन, अस्त्र-शस्त्र भारी —-ॐ जय ….
नख से उदर विदारे, हिरणाकुश मारे —- —-प्रभु ….
भक्त प्रहलाद के सिर पे, वरद हस्त धारे —-ॐ जय ….
असुर-बाल कर स्तुति, हरि के चरण परे —-प्रभु ….
भक्तवछल वर दाता, राज्य प्रदान करे —-ॐ ….
नरहरि की यह आरति, श्रद्धा से गाये —-प्रभु ….
चरण-कमल का आश्रय, शुभ गति को पाये —-ॐ ….