Jay Jay Jag Janani Devi

पार्वती वन्दना जय जय जग-जननि देवि, सुर-नर-मुनि-असुर-सेवी भुक्ति-मुक्ति-दायिनि, भय-हरणि कालिका मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्व शर्वरीश-वदनि ताप-तिमिर-तरुण-तरणि-किरण-पालिका वर्म-चर्म कर कृपाण, शूल-शेल धनुष बाण धरणि दलनि दानव दल रण करालिका पूतना-पिशाच-प्रेत-डाकिनी-शाकिनि समेत भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगाल-जालिका जय महेश-भामिनी, अनेक रूप नामिनी समस्त लोक स्वामिनी, हिम-शैल बालिका रघुपति-पद-परम प्रेम, ‘तुलसी’ यह अचल नेम देहु ह्वै प्रसन्न पाहि प्रणत-पालिका

Jay Jay Jay Giriraj Kishori

पार्वती वन्दना जय-जय-जय गिरिराजकिशोरी जय महेश मुखचंद्र चकोरी जय गजवदन षडानन माता जग-जननी दामिनि-द्युति दाता नहिं तव आदि मध्य अवसाना अमित प्रभाव वेद नहीं जाना भव-भय-विभव पराभव कारिणि विश्व-विमोहिनि स्वबस विहारिणि