Ham To Ek Hi Kar Ke Mana

आत्म ज्ञान हम तो एक ही कर के माना दोऊ कहै ताके दुविधा है, जिन हरि नाम न जाना एक ही पवन एक ही पानी, आतम सब में समाना एक माटी के लाख घड़े है, एक ही तत्व बखाना माया देख के व्यर्थ भुलाना, काहे करे अभिमाना कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, हम हरि हाथ […]

Param Dham Saket Ayodhya

श्री अयोध्या धाम परम धाम साकेत अयोध्या, सुख सरसावनि हरन सकल सन्ताप, जगत के दुःख नसावनि सरयू को शुभ नीर, पीर सबई हरि लेवै हियकूँ शीतल करै अन्त में, प्रभु पद देवै करें धाम मँह बास जे, ते निश्चत तरि जायँगे कामी सब अघ मेंटि कें, धाम प्रभाव दिखायँगे

Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo

शरणागति तुम बिन जीवन भार भयो! कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो  

Re Man Krishna Nam Jap Le

श्री कृष्ण स्मरण रे मन कृष्ण नाम जप ले भटक रहा क्यों इधर उधर तू, कान्ह शरण गह ले जनम मरण का चक्कर इससे, क्यों न मुक्त हो जाये यह संसार स्वप्न के जैसा, फिर भी क्यों भरमाये जिनको तू अपना है कहता, कोई भी नहीं तेरा मनमोहन को हृदय बिठाले, चला चली जग फेरा

Madhuri Murali Adhar Dhare

मुरली का जादू माधुरी मुरली अधर धरैं बैठे मदनगुपाल मनोहर सुंदर कदँब तरैं इत उत अमित ब्रजबधू ठाढ़ी, विविध विनोद करैं गाय मयूर मधुप रस माते नहीं समाधि टरैं झाँकी अति बाँकी ब्रजसुत की, कलुष कलेश हरैं बसत नयन मन नित्य निरंतर, नव नव रति संचरैं

Nath Ne Narsingh Rup Banaya

नरसिंह अवतार नाथ ने नरसिंह रूप बनाया, भक्त प्रहृलाद बचाया खम्भ फाड़ कर प्रगट भये हरि, सब को ही भरमाया आधा रूप लिया है नर का, आधा सिंह धराया हिरणाकशिपु को पकड़ धरा पर, नख से फाड़ गिराया गर्जन सुनकर ब्रह्माजी अरु सभी देवता आया हाथ जोड़ सब स्तुति करके, शांत स्वरूप कराया घट घट […]

Antaryami Ko Pahchano

अन्तरवृत्ति अन्तर्यामी को पहचानो मन में होय उजेरा क्रोध लोभ मद अहंकार ने, मानव जीवन घेरा हुए मोह से ग्रस्त सभी जन, छाया घना अँधेरा यौवन बीता, समय जा रहा, किन्तु विवेक न जागा जिसने संग किया संतों का, तमस हृदय का भागा

Abhilasha Ashumati Man Jagi

यशोदा की लालसा अभिलाषा यशुमति मन जागी, मुसकाया जैसे ही लाला कब तुतला करके मैया कह, ये मुझे पुकारेगा लाला यह आयेगा दिन कब ऐसा, जब आँचल पकड़ेगा लाला हठ कर गोदी में आने को, मचलेगा मेरा यह लाला कब मंगलमय दिन आयेगा, हँस करके बोलेगा लाला

Anand Adhik Hai Bhakti Main

भक्ति-भाव आनन्द अधिक है भक्ति में आकर्षण ऐसा न त्याग में, योग, ज्ञान या यज्ञों में गोदी में बैठ यशोदा के, जो माँ का मोद बढ़ाते वे बिना बुलाये प्रायः ही, पाण्डव के घर प्रभु आते रुक्मिणी के हित व्याकुल इतने, सो नहीं रात्रि में पाते वे लगते गले सुदामा के तो अश्रु प्रवाहित होते […]

Kapiraj Shri Hanuman Ka

श्री हनुमान कपिराज श्री हनुमान का है वर्ण सम सिन्दूर के ललाट पर केशर तिलक, हाथों में वज्र ध्वजा गही अनुराग भारी झलकता, दो नयन से महावीर के गल-माल तुलसी की ललित, मुस्कान मुख पे खिल रही वे ध्यान में डूबे हुए, रघुकुल-तिलक श्री राम के पुलकायमान शरीर है, अद्भुत छटा है छा रही वे […]