Bhaj Govindam Bhaj Govindam

भजनगोविन्दम् भज गोविन्दम्, भज गोविन्दम्, गोविन्दम् भज मूढ़मते मैं, तूँ कौन कहाँ से आया, कौन पिता, पत्नी और जाया माया मोह ने जाल बिछाया, जिसमें फँसकर तूँ भरमाया खेल, पढ़ाई, यौवन-मद में, गई उम्र चिन्ता अब मन में खो न समय संपत्ति संचय में, त्याग लोभ, तोष कर मन में विद्या का अभिमान त्याग रे, […]

Mhimamai Devi Savitri

सावित्री देवी स्तवन महिमामयी देवी सावित्री, अनुकम्पा हम पर करें आप हे मूल प्रकृति, ब्रह्मा की प्रिया, हरलो कृपया सब ताप पाप तेजोमय विग्रह वाली हो, मंगल मयी मोक्षदायिनी हो भक्तों पे अनुग्रह करती हो, सम्पत्ति तथा सुख देती हो हे! प्रीतिदायिनी हों प्रसन्न, सुखदात्री मेरे क्लेश हरो मैं दास तुम्हारा हूँ विपन्न, आनन्द स्वरूपिणि […]

Main Sunata Hun Din Raat Prabhu

सौन्दर्य निधि श्याम मैं सुनता हूँ दिन रात प्रभु, तुम हो अनंत सौन्दर्य धाम यह रूप-माधुरी कैसी है, एक झलक दिखादो मुझे श्याम सुंदर स्वरूप प्रिय बातों ने, चित चोरा था गोपी-जन का सो तीव्र लालसा मुझको है, वह रूप देख लूँ मोहन का मैं हूँ अधीर दिन रात श्याम, कब दर्शन दोगे मुझे आप […]

Raghav Sarayu Tat Par Viharen

सरयू तट राघव सरयू तट पर विहरें भरत लक्ष्मण और शत्रुघन, सब आनन्द भरें पुष्पों की सुन्दर मालाएँ, सबही कण्ठ धरें मन्द मन्द मुसकान अधर पे, शोभा चित्त हरे कल कल ध्वनि सरयू के जल की, सबके मन हरषे देव-देवियाँ सभी गगन से, सुमन बहुत बरषे  

Var De Veena Vadini Var De

सरस्वती स्तुति वर दे वीणावादिनि! वर दे! प्रिय स्वतंत्र रव अमृत मंत्र, नव भारत में भर दे काट अंध उर के बंधन-स्तर, बहा जननि, ज्योर्तिमय निर्झर कलुष-भेद-तम हर, प्रकाश भर, जगमग जग कर दे नव गति, नव लय, ताल-छंद, नव, नवल कंठ, नव जलद मंद्र रव नव नभ के नव विहग वृन्द को नव पर, […]

Shivshankar Ka Jo Bhajan Kare

आशुतोष शिव शिवशंकर का जो भजन करें, मनचाहा वर प्रभु से पाते वे आशुतोष औढरदानी, भक्तों के संकट को हरते जप में अर्जुन थे लीन जहाँ पर, अस्त्र-शस्त्र जब पाने को दुर्योधन ने निशिचर भेजा, अर्जुन का वध करने को मायावी शूकर रूप धरे, शीघ्र ही वहाँ पर जब आया शिव ने किरात का रूप […]

Shri Ram Ko Maa Kaikai Ne

राम वनगमन श्रीराम को माँ कैकयी ने दिया जभी वनवास उनके मुख पर कहीं निराशा का, न तभी आभास मात कौसल्या और सुमित्रा विलपे, पिता अचेत उर्मिला की भी विषम दशा थी, त्यागे लखन निकेत जटा बनाई वल्कल पहने, निकल पड़े रघुनाथ जनक-नन्दिनी, लक्ष्मण भाई, गये उन्हीं के साथ आज अयोध्या के नर नारी, विह्वल […]

Sarvatra Bramh Ki Satta Hi

ब्रह्ममय जगत् सर्वत्र ब्रह्म की सत्ता ही यह जगत् जीव के ही सदृश, है अंश ब्रह्म का बात यही माया विशिष्ट हो ब्रह्म जभी, तब वह ईश्वर कहलाता है ईश्वर, निमित्त व उपादान से दृश्य जगत् हो जाता है जिस भाँति बीज में अंकुर है, उस भाँति ब्रह्म में जग भी है सो जीव, सृष्टि, […]

Jau Kahan Taji Charan Tumhare

रामाश्रय जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे काको नाम पतित पावन जग, केहि अति दीन पियारे कौनहुँ देव बड़ाइ विरद हित, हठि हठि अधम उधारे खग मृग व्याध, पषान, विटप जड़यवन कवन सुर तारे देव दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब माया-विवश बिचारे तिनके हाथ दास ‘तुलसी’ प्रभु, कहा अपुनपौ हारे

Man Madhav Ko Neku Niharhi

हरि पद प्रीति मन माधव को नेकु निहारहि सुनु सठ, सदा रंक के धन ज्यों, छिन छिन प्रभुहिं सँभारहि सोभा-सील ज्ञान-गुन-मंदिर, सुन्दर परम उदारहि रंजन संत, अखिल अघ गंजन, भंजन विषय विकारहि जो बिनु जोग जग्य व्रत, संयम, गयो चहै भव पारहि तो जनि ‘तुलसिदास’ निसि वासर, हरिपद कमल बिसारहि