होली
अब तो साँझ बीत रही श्याम, छोड़ो बहियाँ मोरी
तुम ठहरे ब्रजराज कुँवरजी, हम ग्वालिन अति भोरी
आनंद मगन कहूँ मैं मोहन,अब तो जाऊँ पौरी
लाज बचेगी मोरी
सास, ननद के चुपके छाने, तुम संग खेली होरी
अँगुली पकरत पहुँचो पकरयो और करी बरजोरी
हम हैं ब्रज की छोरी
मीठी-मीठी तान बजाकर, लेन सखिन चित चोरी
‘सूरदास’ प्रभु कुँवर कन्हाई, मुख लपटावत रोरी
बोलत हो हो होरी
Category: HOLI
Biraj Main Holi Khelat Nandlal
होली
बिरज में होरी खेलत नँदलाल
ढोलक झाँझ मँजीरा बाजत, सब सखियाँ मिल होरी गावत,
नाचत दे दे ताल
भर भरके पिचकारी मारत, भीजत है ब्रज के नर नारी,
मुग्ध भई ब्रज-बाल
धरती लाल, लाल भयो अम्बर, लाल राधिका, लालहि नटवर,
उड़त अबीर गुलाल
होरी खेलत है कुँवर कन्हाई, जमुना तट पर धूम मचाई,
क्रीड़ा करत गुपाल
Gopiyan Aai Nand Ke Dware
होली
गोपियाँ आईं नन्द के द्वारे
खेलत फाग बसंत पंचमी, पहुँचे नंद-दुलारे
कोऊ अगर कुमकुमा केसर, काहू के मुख पर डारे
कोऊ अबीर गुलाल उड़ावे, आनँद तन न सँभारे
मोहन को गोपी निरखत सब, नीके बदन निहारे
चितवनि में सबही बस कीनी, मनमोहन चित चोरे
ताल मृदंग मुरली दफ बाजे, झाँझर की झन्कारे
‘सूरदास’ प्रभु रीझ मगन भये, गोप वधू तन वारे
Biraj Main Holi Ki Hai Dhum
होली
बिरज में होली की है धूम
लेकर हाथ कनक पिचकारी, यहाँ खड़ें हैं कृष्ण मुरारी,
उतते आई गोपकुमारी, पकड़ लियो झट से बनवारी
मुख पर मल दी तभी गुलाल, बिरज में होली है
अब आई वृजभानु-दुलारी, और साथ में सखियाँ न्यारी,
घेर लियो फिर नँद-नंदन को, पहना दी रेशम की सारी
रंग दियो श्याम को गाल, बिरज में होली है
माथे पे बिंदिया, नैन में कजरा, खूब सजायो नंद को लाला,
गोपीजन ने खूब छकायो, बड़ी चतुर ये ब्रज की बाला
उड़त अबीर गुलाल, बिरज में होली है
Braj Me Hari Hori Machai
होली
ब्रज में होरी मचाई
इत ते आई कुँवरि राधिका, उतते कुँवर कन्हाई
गोपिन लाज त्यागि रंग खेलत, शोभा बरनि न जाई, नंद-घर बजत बधाई
बाजत ताल मृदंग बाँसुरी, बीना डफ शहनाई
उड़त अबीर, गुलाल, कुंकुमा, रह्यो चहुँ दिसि छाई, मानो मघवा झड़ी लगाई
भरि-भरि रंग कनक पिचकारी, सन्मुख सबै चलाई
छिरकत रंग अंग सब भीजै, झुक झुक चाचर गाई, अति उमंग उर छाई
राधा सेन दई सखियन को, झुंड झुंड घिर आई
लपट लपट गई श्याम सुंदर सौं, हाथ पकर ले जाई, लालजी को नाच नचाई
उत्सुक सबहीं खेलन आई, मरजादा बिसराई
‘सूरदास’ प्रभु छैल छबीले, गोपिन अधिक रिझाई, प्रीति न रही समाई
Braj Main Kaisi Hori Machai
होली
ब्रज में कैसी होरी मचाई, करत परस्पर रोरी
नंदकुँवर बरसाने आये, खेलन के मिस होरी
बाँह पकड़ एक ग्वालिन की वे, बहुत ही करै चिरौरी
अब तो बहियाँ छोड़ो प्यारे, देखत हमें किसोरी
अधिक अधीर राधिका आई, जानत श्याम ठगोरी
होली खेलत राधा मोहन, गलियन रंग बह्योरी
लाल भयो कटिपट मोहन को, लाल राधिका गोरी
Shyam Moso Khelo Na Hori
होली
स्याम मोसों खेलो न होरी, पाँव पडूं कर जोरी
सगरी चुनरिया रँग न भिजाओ, इतनी सुन लो मोरी
झपट लई मोरे हाथ ते गागर, करो मती बरजोरी
दिल धड़कत मेरी साँस बढ़त है, देह कँपत रँग ढोरी
अबीर गुलाल लिपट दियो मुख पे, सारी रँग में बोरी
सास ननँद सब गारी दैहैं, आई उनकी चोरी
फाग खेल के मोहन प्यारे, क्या कीनी गति मोरी
‘सूरदास’ गोपी के मन में, आनन्द बहुत बह्यो री
Mano Mano Nand Ji Ke Lal
होली
मानो मानो नंदजी के लाल
चूनर, चोली भिगा दी सारी, डारो न और गुलाल
जमुना से जल भर मैं आई, तब भी करी ढिठाई
दौड़ के मोरी गगरी गिराई, कैसो कर दियो हाल
गीली चुनरिया सास लड़ेगी, ननँद साथ नहीं देगी
काहू भाँति नहीं बात बनेगी, नटखट करी कुचाल
नंदकुँवर खेली जो होरी, करी अधिक बरजोरी
एकटक निरख रहीं ब्रज बाल, आज तो कर दी उसे निहाल
Jhumat Radha Sang Giridhar
होली
झूमत राधा संग गिरिधर, झूमत राधा संग
अबीर, गुलाल की धूम मचाई, उड़त सुगंधित रंग
लाल भई वृन्दावन-जमुना, भीज गये सब अंग
नाचत लाल और ब्रजनारी, धीमी बजत मृदंग
‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, छाई बिरज उमंग
Rang Darat Laj Na Aai
होली
रंग डारत लाज न आई, नन्दजी के कुँवर कन्हाई
माखन-चोर रसिक मतवारे, गलियन धूम मचाई,
गुलचे खाये भूल गये क्यों, करन लगे ठकुराई
सखि! वाँको शरम न आई
हाथ लकुटिया काँधे कमरिया, बन बन धेनु चराई,
जाति अहीर सबहिं जन जानत, करन लगे ठकुराई
छलिये जानत लोग लुगाई
मात जसोदा ऊखल बाँधे, रोनी सूरति बनाई,
वे दिन अपने भूलि गये सब, करन लगे ठकुराई
कुछ करलो याद कन्हाई