Khelat Fag Pran Dhan Mohan

होली का रंग खेलन फाग प्रानधन मोहन, मेरे द्वारे आयो रे नटवर रूप देखि प्रीतम को, मेरो मन उमगायो रे संग सखा सब छैल-छबीले, लाल गुलाल उड़ायो रे सोहत हाथ कनक-पिचकारी, केसर रंग रँगायो रे ओसर पाइ लई मैं मुरली, काजर नयन लगायो रे सिर चुंदरी ओढ़ाय लाल को, लाली भेष बनायो रे घेरि सखिन […]

Lal Gulal Gupal Hamari

होली लाल गुलाल गुपाल हमारी, आँखिन में जिन डारोजू वदन चंद्रमा नैन चकोरी, इन अन्तर जिन पारोजू गाओ राग बसंत परस्पर, अटपट खेल निवारोजू कुंकुम रंग सों भरि पिचकारी, तकि नैनन जिन मारोजू बाँकी चितवन नेह हृदय भरि, प्रेम की दृष्टि निहारोजू नागरि-नागर भवसागर ते, ‘कृष्णदास’ को तारोजू 

Jasoda Kaha Kahon Hon Baat

लाला की करतूत जसोदा! कहा कहों हौं बात तुम्हरे सुत के करतब मोसे, कहत कहे नहिं जात भाजन फोरि, ढोलि सब गोरस, ले माखन-दधि खात जो बरजौं तो आँखि दिखावै, रंचु-नाहिं सकुचात और अटपटी कहलौं बरनौ, छुवत पान सौं गात दास ‘चतुर्भुज’ गिरिधर-गुन हौं, कहति कहति सकुचात 

Aaj Ki Bela Sukhkari

श्री श्री राधा प्राकट्य आज की बेला सुखकारी प्रगट भई वृषभानु-नंदिनी, कीरति प्राण-पियारी गावत सभी बधाई हिलमिल, बरसाने की नारी अत्यधिक, आनंद महल में बरनत रसना हारी नौबत बजत और शहनाई, नाचत सखियाँ सारी नंद यशोदा सुनसुख पायें, हरषे हिय में भारी भादौ मास, गगन घन छाये, बिजुरी चमके न्यारी चहुँ ओर है खुशियाँ छाई, […]

Baje Baje Re Shyam Teri Pejaniyan

श्याम की पैंजनियाँ बाजे-बाजे रे स्याम तेरी पैजनियाँ माता यशोदा चलन सिखावत, उँगली पकड़ कर दो जनियाँ राजत अनुपम लाल झगुला, पीट बरन सुन्दर तनिया ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, तीन लोक के तुम धनिया

Braj Ko Bacha Lo Mohan

गोवर्धन लीला ब्रज को बचा लो मोहन, रक्षा करो हमारी हो कु्रद्ध शची के पति ने, वर्षा करी है भारी आँधी भी चल रही है, ओले बरस रहे हैं पानी से भर गया ब्रज, सब कष्ट से घिरे हैं गिरिराज को उखाड़ा, ले हाथ पर हरि ने उसको उठाये रक्खा, दिन सात तक उन्होंने ब्रज […]

Jay Jay Durge Jay Maheshwari

दुर्गा स्तवन जय जय दुर्गे जय माहेश्वरी, आर्त जनों की तुम रखवारी शैल नन्दिनी सुर-मुनि सेवित, पाप-पुँज की नाशन हारी पूर्णचन्द्र सम प्रभा वदन की, विश्व विमोहिनी दीप्ति तुम्हारी शूल धारिणी सिंह वाहिनी, महिषासुर को मर्दनवारी शुम्भ-निशुम्भ मुण्ड गल माला, अंधक दैत्य विशोषण हारी शोभा, क्षमा, शान्ति, श्रद्धा, धृति, विजय रूपिणी, पालनहारी जय जय सुखदा […]

Shivshankar Se Jo Bhi Mange

औढरदानी शिव शिवशंकर से जो भी माँगे, वर देते उसको ही वैसा औढरदानी प्रभु आशुतोष, दूजा न देव कोई ऐसा कर दिया भस्म तो कामदेव, पर वर प्रदान करते रति को वे व्यक्ति भटकते ही रहते, जो नहीं पूजते शंकर को काशी में करे जो देह त्याग, निश्चित ही मुक्त वे हो जाते महादेव अनुग्रह […]