श्री राधा प्राकट्य
आज बरसाने बजत बधाई
प्रगट भई वृषभानु गोप के सबही को सुखदाई
आनँद मगन कहत युवती जन, महरि बधावन आई
बंदीजन, मागध, याचक, गुन, गावत गीत सुहाई
जय जयकार भयो त्रिभुवन में, प्रेम बेलि प्रगटाई
‘सूरदास’ प्रभु की यह जीवन-जोरी सुभग बनाई
Category: Radhashtami
Aaj Vrashbhanu Geh Anand
श्री राधा जन्मोत्सव
आज वृषभानु गेह आनन्द
वदन प्रभा सी लागत मानो, प्रगट्यो पूरन-चंद
बजे बाजने नाचे गाये, कोइ सुनावत टेर
सुनि सब नारि बधावन आई, किये बिना कछु देर
नंदराय अरु जसुमति रानी, न्योता पा चलि आये
सुनतहि सबन भरे आनंद में, हुलसि भेंट को लाये
अपने अपने मन को भाये, करत सकल ब्रज लोग
‘सूरदास’, प्रगटी पृथ्वी पर, भक्तजन के हितजोग
Pragat Bhai Sobha Tribhuwan Ki
राधा प्राकट्य
प्रगट भई सोभा त्रिभुवन की, श्रीवृषभानु गोप के आई
अद्भुत रूप देखि ब्रजबनिता, रीझि – रीझि के लेत बलाई
नहिं कमला न शची, रति, रंभा, उपमा उर न समाई
जा हित प्रगट भए ब्रजभूषन, धन्य पिता, धनि माई
जुग-जुग राज करौ दोऊ जन, इत तुम, उत नँदराई
उनके मनमोहन, इत राधा, ‘सूरदास’ बलि जाई
Ho Ik Nai Bat Suni Aai
श्री राधा प्राकट्य
हौं इक नई बात सुनि आई
कीरति रानी कुँवरी जाई, घर-घर बजत बधाई
द्वारे भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई
अति आनंद होत बरसाने, रतन-भूमि निधि छाई
नाचत तरुन वृद्ध अरु बालक, गोरस-कीच मचाई
‘सूरदास’ स्वामिनि सुखदायिनि, मोहन-सुख हित आई
Radha Ras Ki Khani Sarasta Sukh Ki Beli
श्री राधा
राधा रस की खानि, सरसता सुख की बेली
नन्दनँदन मुखचन्द्र चकोरी, नित्य नवेली
नित नव नव रचि रास, रसिक हिय रस बरसावै
केलि कला महँ कुशल, अलौकिक सुख सरसावै
यह अवनी पावन बनी, राधा पद-रज परसि के
जिह राज सुरगन इन्द्र अज, शिव सिर धारें हरषि के
Hamari Radha Ati Sukumari
श्री राधा
हमारी राधा अति सुकुमारी
विहरत है वृषभानु महल में, चहुँ दिशि करत उजारी
लोचन युगल खिले पंकज दोउ, मातु बजावति तारी
आवति दौरि अङक में उछरैं, हँसनि देत किलकारी
गोरो अंग श्याम हिय धारति, श्यामा श्याम बिहारी
दुग्ध धवलिया तनु छाया सम, होंहि न पियते न्यारी
Aaj Ki Bela Sukhkari
श्री श्री राधा प्राकट्य
आज की बेला सुखकारी
प्रगट भई वृषभानु-नंदिनी, कीरति प्राण-पियारी
गावत सभी बधाई हिलमिल, बरसाने की नारी
अत्यधिक, आनंद महल में बरनत रसना हारी
नौबत बजत और शहनाई, नाचत सखियाँ सारी
नंद यशोदा सुनसुख पायें, हरषे हिय में भारी
भादौ मास, गगन घन छाये, बिजुरी चमके न्यारी
चहुँ ओर है खुशियाँ छाई, ब्रज में प्रिया पधारी
Aaj Rawal Main Jay Jaykar
श्रीश्री राधा प्राकट्य
आज रावल में जय-जयकार
भयो यहाँ वृषभानु गोप के, श्री राधा अवतार
सज-धज के सब चलीं वेग तें, गावत मंगलाचार
पृथ्वी पर त्रिभुवन की शोभा, रूप रासि सुखसार
निरखत गावत देत बधाई, तभी भीर भई द्वार
‘परमानँद’ वृषभानु- नंदिनी, जोरी नंदकुमार
Udho Hamen Na Shyam Viyog
प्रीति की रीति
ऊधौ! हमें न श्याम वियोग
सदा हृदय में वे ही बसते, अनुपम यह संजोग
बाहर भीतर नित्य यहाँ, मनमोहन ही तो छाये
बिन सानिध्य श्याम के हम को, कुछ भी नहीं सुहाये
तन में, मन में, इस जीवन में, केवल श्याम समाये
पल भर भी विलग नहीं वे होते, हमें रोष क्यों आये
सुनकर उद्धव के अंतर में, उमड़ पड़ा अनुराग
पड़े राधिका के चरणों में, सुध-बुध कर परित्याग
Jag Uthe Bhagya Bharat Ke
श्री राधा प्राकट्य
जग उठे भाग्य भारत के, परम आनन्द है छाया
श्याम की प्रियतमा राधा, प्रकट का काल शुभ आया
बज उठीं देव-दुन्दुभियाँ, गान करने लगे किन्नर
सुर लगे पुष्प बरसाने, अमित आनन्द उर में भर
चले सब ग्वाल नर नारी, वृद्ध बालक सुसज्जित हो
सभी मन में प्रफुल्लित हो, देवियाँ देव हर्षित हो
यशोदा नन्द परमानंद पाकर हो उठे विहृल
चले बरसाने को ले भेंट, खिल उठे हृदय पंकज दल