स्मृति
आज सखि! राघव की सुधि आई
आगे आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई
इनके बीच में चलत जानकी, चिन्ता अधिक सताई
सावन गरजे भादों बरसे,पवन चलत पुरवाई
कौन वृक्ष तल भीजत होंगे, राम लखन दोउ भाई
राम बिना मोरी सूनी अयोध्या, लक्ष्मण बिन ठकुराई
सीता बिन मोरी सूनी रसोई, महल उदासी छाई

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