हितकारी राम
ऐसे राम दीन हितकारी
अति कोमल करुना निधान बिनु कारन पर-उपकारी
साधन हीन दीन निज अघ बस सिला भई मुनि नारी
गृहते गवनि परसि पद-पावन घोर सापते तारी
अधम जाति शबरी नारी जड़ लोक वेद ते न्यारी
जानि प्रीत दै दरस कृपानिधि सोउ रघुनाथ उबारी
रिपु को अनुज विभिषन निशिचर, कौन भजन अधिकारी
सरन गये आगे ह्वै लीन्हा, भेंट्यो भुजा पसारी
कह लगि कहौं दीन अनगिनत, जिनकी विपति निवारी
कलि-मल-ग्रसित दास ‘तुलसी’ पर काहे कृपा बिसारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *