धनुष-भंग (राजस्थानी)
गुरुचरणों में सीस नवा के, रघुवर धनुष उठायोजी
बाण चढ़ावत कोई न देख्यो, झटपट तोड़ गिरायोजी
तीन लोक अरु भवन चतुर्दश, सबद सुणत थर्रायोजी
धरणी डगमग डोलन लागी, शेष नाग चकरायोजी
शूरवीर सब धुजण लाग्या, सबको गरब मिटायो जी 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *