राम वनगमन
श्रीराम को माँ कैकयी ने दिया जभी वनवास
उनके मुख पर कहीं निराशा का, न तभी आभास
मात कौसल्या और सुमित्रा विलपे, पिता अचेत
उर्मिला की भी विषम दशा थी, त्यागे लखन निकेत
जटा बनाई वल्कल पहने, निकल पड़े रघुनाथ
जनक-नन्दिनी, लक्ष्मण भाई, गये उन्हीं के साथ
आज अयोध्या के नर नारी, विह्वल और उदास
विदा कर रहे अश्रु नयन में, राम गये वनवास

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