Bharat Bhai Kapi Se Urin Ham Nahi

कृतज्ञता भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं सौ योजन मर्याद सिन्धु की, लाँघि गयो क्षण माँही लंका-जारि सिया सुधि लायो, गर्व नहीं मन माँही शक्तिबाण लग्यो लछमन के, शोर भयो दल माँही द्रोणगिरि पर्वत ले आयो, भोर होन नहीं पाई अहिरावण की भुजा उखारी, पैठि गयो मठ माँही जो भैया, हनुमत नहीं होते, को […]

Jag Uthe Bhagya Bharat Ke

श्री राधा प्राकट्य जग उठे भाग्य भारत के, परम आनन्द है छाया श्याम की प्रियतमा राधा, प्रकट का काल शुभ आया बज उठीं देव-दुन्दुभियाँ, गान करने लगे किन्नर सुर लगे पुष्प बरसाने, अमित आनन्द उर में भर चले सब ग्वाल नर नारी, वृद्ध बालक सुसज्जित हो सभी मन में प्रफुल्लित हो, देवियाँ देव हर्षित हो […]