Braj Ke Birahi Log Dukhare

वियोग ब्रज के बिरही लोग दुखारे बिन गोपाल ठगे से ठाढ़े, अति दुरबल तनु कारे नन्द जसोदा मारग जोवत, नित उठि साँझ सकारे चहुँ दिसि ‘कान्ह कान्ह’ करि टेरत, अँसुवन बहत पनारे गोपी गाय ग्वाल गोसुत सब, अति ही दीन बिचारे ‘सूरदास’ प्रभु बिन यों सोभित, चन्द्र बिना ज्यों तारे

Braj Ke Birahi Log Bichare

वियोग ब्रज के बिरही लोग बिचारे बिन गोपाल ठगे से ठाढ़े, अति दुरबल तनु हारे मात जसोदा पंथ निहारति, निरखति साँझ सकारे सबही कान्ह कान्ह कहि बोलत, अँखियन बहत पनारे यह मथुरा काजर की रेखा, जे निकसे ते कारे ‘परमानंद’ स्वामी बिन ऐसे, ज्यों चंदा बिनु तारे