Jau Kahan Taji Charan Tumhare

रामाश्रय जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे काको नाम पतित पावन जग, केहि अति दीन पियारे कौनहुँ देव बड़ाइ विरद हित, हठि हठि अधम उधारे खग मृग व्याध, पषान, विटप जड़यवन कवन सुर तारे देव दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब माया-विवश बिचारे तिनके हाथ दास ‘तुलसी’ प्रभु, कहा अपुनपौ हारे

Pawan Prem Ram Charan

रामनाम महिमा पावन प्रेम राम-चरन-कमल जनम लाहु परम राम-नाम लेत होत, सुलभ सकल धरम जोग, मख, विवेक, बिरति, वेद-विदित करम करिबे कहुँ कटु कठोर, सुनत मधुर नरम ‘तुलसी’ सुनि, जानि बूझि, भूलहि जनि भरम तेहि प्रभु को होहि, जाहि सबही की सरम

Bhaj Man Ram Charan Sukh Dai

भज मन राम-चरण सुखदाई जिहि चरनन ते निकसी सुर-सरि, शंकर-जटा समाई जटा शंकरी नाम पर्यो है, त्रिभुवन तारन आई जिन चरनन की चरन-पादुका, भरत रह्यो लवलाई सोई चरन केवट धोइ लीन्हे, तब हरि नाव चढ़ाई सोई चरन संतन जन सेवत, सदा रहत सुखदाई सोई चरन गौतम ऋषि-नारी, परसि परम पद पाई दंडक वन प्रभु पावन […]

Shri Guru Charan Saroj Raj – Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा दोहा – श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार चौपाई – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवन सुत […]

Charan Kamal Bando Hari Rai

वंदना चरन-कमल बंदौं हरि राइ जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे कौ सब कछु दरसाइ बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराइ ‘सूरदास’ स्वामी करुनामय, बार-बार बन्दौ तेहि पाइ

Bhaj Man Charan Kamal Avinasi

नश्वर संसार भज मन चरण-कमल अविनासी जे तई दीसे धरण गगन बिच, ते तई सब उठ जासी कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हें, कहा लिए करवत कासी या देही को गरब न करियो, माटी में मिल जासी यो संसार चहर की बाजी, साँझ पड्या उठ जासी कहा भयो भगवाँ का पहर्या, घर तज के सन्यासी जोगी […]

Main To Tore Charan Lagi Gopal

शरणागत मैं तो तोरे चरण लगी गोपाल जब लागी तब कोउ न जाने, अब जानी संसार किरपा कीजौ, दरसण दीजो, सुध लीजौ तत्काल ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कमल बलिहार

Nath Tav Charan Sharan Main Aayo

शरणागति नाथ तव चरण शरन में आयो अब तक भटक्यो भव सागर में, माया मोह भुलायो कर्म फलनि की भोगत भोगत, कईं योनिनि भटकायो पेट भयो कूकर सूकर सम, प्रभु-पद मन न लगायो भई न शान्ति, न हिय सुख पायो, जीवन व्यर्थ गँवायो ‘प्रभु’ परमेश्वर पतति उधारन, शरनागत अपनायो

Vando Shri Radha Charan

युगल स्वरूप झाँकी वन्दौं श्री राधाचरन, पावन परम उदार भय विषाद अज्ञानहर, प्रेम भक्ति दातार रास-बिहारिनि राधिका, रासेश्वर नँद-लाल ठाढ़े सुंदरतम परम, मंडल रास रसाल मधुर अधर मुरली धरे, ठाढ़े स्याम त्रिभंग राधा उर उमग्यौ सु-रस रोमांचित अँग-अंग विश्वविमोहिनी श्याम की, मनमोहिनि रसधाम श्याम चित्त उन्मादिनी, राधा नित्य ललाम परम प्रेम-आनंदमय, दिव्य जुगल रस-रूप कालिंदी-तट […]

Nand Ko Lal Chale Go Charan

गोचारण नंद को लाल चले गोचारन, शोभा कहत न आवे अति फूली डोलत नंदरानी, मोतिन चौक पुरावे विविध मूल्य के लै आभूषण, अपने सुत पहिरावे आनँद में, भर गावत मंगल गीत सबहिं मन भावे घर घर ते सब छाक लेत है, संग सखा सुखदाई गौएँ हाँक आगे कर लीनी, पाछे मुरली बजाई कुण्डल लाल कपोलन […]