Chalan Vahi Des Pritam Chalan Vahi Des

प्रीतम के देश चालाँ वाही देस प्रीतम, चालाँ वाही देस कहो कसूमल साड़ी रँगावाँ, कहो तो भगवाँ भेस कहो तो मोतियाँ माँग भरावाँ, कहो बिखरावाँ केस ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुण लो बिरद नरेस

Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des

विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस

Bansiwala Aajo Mhare Des

विरह व्यथा बंसीवाला आजो म्हारे देस, थाँरी साँवरी सूरति वालो भेष आऊगा कह गया साँवरा, कर गया कौल अनेक गणता गणता घिस गई म्हारी, आँगुलिया की रेख तेरे कारण साँवराजी, धर लियो जोगण भेष ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, आओ मिटे कलेस

Rahna Nahi Des Birana Hai

नश्वर संसार रहना नहीं देस बिराना है यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है यह संसार काँट की बाड़ी, उलझ उलझ मरि जाना है यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है