Dhanya Nand Dhani Jasumati Rani

धन्य नन्द-यशोदा धन्य नन्द, धनि जसुमति रानी धन्य ग्वाल गोपी जु खिलाए, गोदहि सारंगपानी धन्य व्रजभूमि धन्य वृन्दावन, जहँ अविनासी आए धनि धनि ‘सूर’ आह हमहूँ जो, तुम सब देख न पाए

Kyon Dhanya Grihasthashram Kahlata

धन्य गृहस्थाश्रम क्यों धन्य गृहस्थाश्रम कहलाता मानव जीवन के तीन लक्ष्य, धन, काम, धर्म वह पाता सौमनस्य हो पति-पत्नी में, स्वर्ग बनाये घर को परोपकार, परहित सेवा, कर्तव्य मिलादे हरि को प्रभु का मंदिर समझे गृह को, भाव शुद्धता मन में हरि-कीर्तन प्रातः सन्ध्या हो, व सदाचार जीवन में पूजन एवं कृष्ण-कथा हो, साधु, सन्त […]

Dhanya Sakhi Suno Jasoda Maiya

बालकृष्ण चरित धन्य सखी सुनो जसोदा मैया घुँटुरन चलत बालकृष्ण अति कोमल नन्हें पैया मनमोहन को रूप रसीलो, गोपीजन मन भावत बारंबार कमल मुख निरखत, नंदालय सब आवत किलकि किलकि हुलसत है लालन, भगत बछल मनरंजन देत असीस सबहि गोपीजन, चिरजीवो दुख-भंजन 

Dhanya Dhanya Vrindavan Dham

वृन्दावान महिमा धन्य धन्य वृन्दावान धाम राधा के संग क्रीड़ा करते जहाँ नित्य घनश्याम ग्वाल-सखा सँग यमुना तट पे, तरु कदंब की छैंया मुरली मधुर बजाये मोहन, और चराये गैंया इसका जो भी ध्यान लगाये, हर्ष न हृदय समाये छटा वर्णनातीत लाल की, कोई पार न पाये वृन्दावन की पावन रज का, सादर तिलक लगाये […]