Dinan Dukh Haran Dev Santan Hitkari

भक्त के भगवान दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी ध्रुव को हरि राज देत, प्रह्लाद को उबार लेत भगत हेतु बाँध्यो सेतु, लंकपुरी जारी तंदुल से रीझ जात, साग पात आप खात शबरी के खाये फल, खाटे मीठे खारी गज को जब ग्राह ग्रस्यो, दुःशासन चीर खस्यो सभा बीच कृष्ण कृष्ण, द्रौपदी पुकारी इतने हरि […]

Bichure Syam Bahut Dukh Payo

बिछोह बिछुरे स्याम बहुत दुख पायौ दिन-दिन पीर होति अति गाढ़ी, पल-पल बरष बिहायौ व्याकुल भई सकल ब्रज-वनिता, नैक संदेस न पायो ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे मिलन कौ, नैनन अति झर लायौ

Mai Moko Chand Lagyo Dukh Den

विरह व्यथा माई, मोकौं चाँद लग्यौ दुख दैन कहँ वे स्याम, कहाँ वे बतियाँ, कहँ वह सुख की रैन तारे गिनत गिनत मैं हारी, टपक न लागे नैन ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हारे दरस बिनु, विरहिनि कौं नहिं चैन

Jay Durge Durgati Dukh Harini

दुर्गादेवी स्तवन जय दुर्गे दुर्गति दुःख हारिणि, शुंभ विदारिणि, मात भवानी आदि शक्ति परब्रह्म स्वरूपिणि, जग जननी माँ वेद बखानी ब्रह्मा, शिव, हरि अर्चन कीनो, ध्यान धरत सुर-नर-मुनि-ज्ञानी अष्ट भुजा, कर खंग बिराजे, सिंह सवार सकल वरदानी ‘ब्रह्मानंद’ शरण में आयो, भव-भय नाश करो महारानी 

Karmo Ka Fal Hi Sukh Dukh Hai

कर्म-फल कर्मों का फल ही सुख दुख है जिसने जैसा हो कर्म किया, उसका फल वह निश्चित पायेगा जो कर्म समर्पित प्रभु को हो, तो वह अक्षय हो जायेगा जो भी ऐसा सत्कर्मी हो, वह उत्तम गति को पायेगा जो व्यक्ति करे निष्काम कर्म, सर्वथा आश्रित प्रभु के ही ऐसे भक्तों का निस्संदेह, उद्धार स्वयं […]

Trashna Hi Dukh Ka Karan Hai

तृष्णा तृष्णा ही दुःख का कारण है इच्छाओं का परित्याग करे, संतोष भाव आ जाता है धन इतना ही आवश्यक है जिससे कुटंब का पालन हो यदि साधु सन्त अतिथि आये, उनका भी स्वागत सेवा हो जो सुलभ हमें सुख स्वास्थ्य कीर्ति, प्रारब्ध भोग इसको कहते जो झूठ कपट से धन जोड़ा, फलस्वरूप अन्ततः दुख […]

Bhawani Dur Karo Dukh Maa

निवेदन भवानी, दूर करो दु:ख माँ तेरो बालक करे पुकार, भवानी! दूर करो दुख माँ मैं तो हूँ अति कपटी पापी, औगुण को घर माँ राग-द्वेष में डूब रह्यो नित, शुभ लक्षण नहीं माँ पूजा-पाठ कछू नहीं जाणूँ, भक्ति न जाणू माँ साधु-संगत कबहुँ न किन्ही, तीरथ व्रत नहीं माँ बालपणो तरुणाई बीती, तन-जर्जर अब […]